रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए विधिविधान से बंद किए गए
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जनपद के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और पंच केदारों में तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट आज बृहस्पतिवार को पूर्वाह्न 11:30 बजे शुभ मुहूर्त में शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंदी के अवसर पर मंदिर को फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था। सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें लगी थीं।

पूजा-अर्चना और शिवलिंग को समाधि रूप देने की परंपरा निभाई गई
सुबह भगवान तुंगनाथ जी के दर्शनार्थ मंदिर द्वार खोले गए। नित्य पूजा-अर्चना के बाद भक्तों ने दर्शन किए। बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की उपस्थिति में सुबह 10:30 बजे से कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। भोग, यज्ञ और हवन के उपरांत भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को विधिवत समाधि रूप दिया गया। इसके बाद 11:30 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।
ढोल-नगाड़ों के बीच चोपता के लिए रवाना हुई चल विग्रह डोली
कपाट बंद होने से पहले भगवान तुंगनाथ जी की चल विग्रह डोली को मंदिर परिसर में विराजमान किया गया। इसके बाद ढोल-नगाड़ों की गूंज और “जय बाबा तुंगनाथ” के जयघोषों के बीच डोली चोपता के लिए रवाना हुई। यह डोली आगामी दिनों में निर्धारित पारंपरिक पड़ावों से होकर मकर संक्रांति तक ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में विराजमान रहेगी।
भक्तों ने किया दिव्य दर्शन, गूंज उठा वातावरण
कपाट बंदी समारोह में लगभग 500 से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे। भक्तों ने भगवान तुंगनाथ के दर्शन के बाद पुष्प अर्पित किए और शीतकालीन यात्रा की मंगलकामना की। मंदिर परिसर में बाबा तुंगनाथ जी की जय-जयकार से वातावरण शिवमय बन गया।
