केदारनाथ और हेमकुंड साहिब तक अब रोपवे से पहुंचेंगे श्रद्धालु
देहरादून। उत्तराखंड के दो सबसे बड़े धार्मिक स्थलों तक पहुंच अब और आसान होने जा रही है। राज्य सरकार और National Highways Logistics Management Limited (NHLML) ने मंगलवार को Parvatmala परियोजना के तहत दो विशाल रोपवे प्रोजेक्ट्स पर 7,000 करोड़ का MoU साइन किया। ये प्रोजेक्ट न सिर्फ यात्रा को सुरक्षित और तेज़ बनाएंगे बल्कि राज्य की पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी नई उड़ान देंगे।

कहां बनेंगे रोपवे?
- सोनप्रयाग–केदारनाथ (12.9 किमी) → लागत 4,100 करोड़
- गोविंदघाट–हेमकुंड साहिब (12.4 किमी) → लागत 2,700 करोड़
क्यों खास हैं ये प्रोजेक्ट?
- केदारनाथ रोपवे में लगेगी आधुनिक 3S तकनीक (ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला)
- क्षमता: 1,800 यात्री प्रति घंटा, सालाना 36 लाख श्रद्धालुओं को सुविधा
- हेमकुंड साहिब रोपवे की क्षमता: 1,100 यात्री प्रति घंटा, सालाना 13.9 लाख यात्री
- यात्रा होगी और सुरक्षित, समय बचेगा और भीड़ का दबाव कम होगा
निवेश और फायदे
- कुल लागत: 7,000 करोड़
- हिस्सेदारी: NHLML 51%, राज्य सरकार 49%
- प्रोजेक्ट से होने वाली कमाई का 90% प्रदेश के विकास पर खर्च होगा
- निर्माण लक्ष्य: FY 2031–32 तक पूरा
सीएम धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ये रोपवे प्रोजेक्ट उत्तराखंड के लिए गेमचेंजर साबित होंगे। इससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर खुलेंगे।
असर क्या होगा?
- तीर्थयात्रियों के लिए सफर होगा आसान और तेज़
- स्थानीय कारोबार और होटलों को मिलेगा बूस्ट
- नई नौकरियां और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती
इन दोनों रोपवे प्रोजेक्ट्स के पूरे होने के बाद उत्तराखंड के आध्यात्मिक और पर्यटन नक्शे पर बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। श्रद्धालु जहां सुरक्षित और आरामदायक यात्रा कर पाएंगे, वहीं स्थानीय लोगों को रोज़गार और कारोबार के नए अवसर मिलेंगे। केदारनाथ और हेमकुंड साहिब तक आसान पहुँच राज्य के धार्मिक पर्यटन को नई ऊंचाई पर ले जाएगी और उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को मजबूत सहारा देगी।
