देहरादून में उत्तराखंड गो सेवा आयोग की बैठक के दौरान गोवंश संरक्षण पर कड़े प्रस्ताव पारित किए गए।
देहरादून। उत्तराखंड में गोवंश की हत्या और तस्करी करने वालों के लिए अब मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उत्तराखंड गो सेवा आयोग ने गुरुवार को हुई अपनी बोर्ड बैठक में राज्य सरकार को सिफारिश भेजी है कि ऐसे मामलों में अब 10 साल की कठोर सजा और 5 लाख तक का जुर्माना लगाया जाए।

इस बैठक की अध्यक्षता आयोग के चेयरमैन पं. राजेंद्र अणथ्वाल ने की। बैठक में तय किया गया कि राज्य में गो-हत्या, तस्करी और गोवंश के प्रति क्रूरता जैसे अपराधों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। वर्तमान में उत्तराखंड में ऐसे मामलों में अधिकतम तीन साल की सजा और ₹10,000 जुर्माने का प्रावधान है। आयोग चाहता है कि इसे उत्तर प्रदेश की तर्ज पर सख्त बनाया जाए। यूपी में हाल ही में गोवंश संरक्षण कानून को कड़ा किया गया है।
आवारा पशु छोड़ने पर भी भारी जुर्माना
बैठक में यह भी तय हुआ कि जो पशुपालक गोवंश को सड़कों पर छोड़ देते हैं, उन पर अब 10,000 तक का जुर्माना लगाया जाए। पहले यह जुर्माना केवल 2,000 था। आयोग अध्यक्ष पं. राजेंद्र अणथ्वाल ने कहा कि राज्य में करीब 60 फीसदी गोवंश सड़कों पर आवारा घूम रहा है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में सख्त कानून बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह कदम पशुपालकों में जिम्मेदारी की भावना बढ़ाएगा और गो संरक्षण आंदोलन को नई दिशा देगा।
गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने का प्रस्ताव
बैठक में एक और भावनात्मक प्रस्ताव पारित किया गया—गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाए। आयोग ने यह प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजने का निर्णय लिया है। गो सेवा आयोग की यह पहल राज्य में गोवंश सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है। अब सरकार के फैसले का इंतजार है कि कब इन प्रस्तावों को उत्तराखंड गो संरक्षण अधिनियम में शामिल किया जाएगा।
