देवीधुरा बग्वाल मेला 2025
चम्पावत। चम्पावत जनपद के प्रसिद्ध मां वाराही धाम देवीधुरा में शनिवार को आयोजित ऐतिहासिक बग्वाल मेले में आस्था, परंपरा और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला। पाटी ब्लॉक स्थित मां वाराही धाम में सुबह प्रधान पुजारी द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना के साथ बग्वाल की शुरुआत हुई।

इसके बाद चारों खाम वालिक (सफेद), चम्याल (गुलाबी), गहड़वाल (भगवा) और लमगड़िया (पीला) के बग्वालियों का पारंपरिक अंदाज में प्रवेश हुआ। अलग-अलग रंगों के वस्त्रों और पगड़ियों में सजे योद्धाओं के हाथों में बांस और रिंगाल से बने ढाल थे, जिनसे वे एक-दूसरे के प्रहारों से बचते रहे। उनके आगमन के साथ ही शंखनाद गूंज उठा और मां वाराही के जयकारों के बीच बग्वाल का आगाज़ हुआ।
आसमान में फलों और फूलों की बरसात ने दृश्य को अलौकिक बना दिया, जबकि श्रद्धालुओं की उत्साहभरी आवाज़ों से पूरा मैदान गूंज उठा। इस वर्ष बग्वाल दोपहर 1:58 बजे शुरू होकर 2:05 बजे समाप्त हुई। सात मिनट तक चले इस अनूठे ‘युद्ध’ में पत्थरों के स्थान पर फल और फूलों का प्रयोग किया गया, जिससे परंपरा को सुरक्षित और सौम्य रूप में जीवंत रखा गया।
पीठाचार्य पंडित कीर्ति बल्लभ जोशी के अनुसार फल-फूलों से खेली जाने वाली बग्वाल को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह मां वाराही की कृपा पाने का प्रतीक है।
