चंपावत: कुमाऊं का अनदेखा रत्न
चंपावत। अगर आप उत्तराखंड घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं और शांति, प्रकृति व आध्यात्मिकता का संगम तलाश रहे हैं, तो चंपावत आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है। हिमालय की गोद में बसा यह छोटा सा जिला अपनी ऐतिहासिक धरोहरों, प्राचीन मंदिरों, झरनों और प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है।

1. बनलेश्वर मंदिर – शिवभक्तों का प्रमुख केंद्र
चंपावत का बनलेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां की कारीगरी अद्भुत है। पत्थरों से बने इस मंदिर में पर्यटक शांति और अध्यात्म का अनुभव कर सकते हैं।
2. नागनाथ मंदिर – वास्तुकला का बेजोड़ नमूना
चंपावत शहर के बीचों-बीच स्थित नागनाथ मंदिर कुमाऊं की प्राचीन कला और स्थापत्य का शानदार उदाहरण है। यह मंदिर वास्तु-प्रेमियों और श्रद्धालुओं के लिए खास आकर्षण है।
3. बाराही देवी मंदिर – आस्था और विश्वास का प्रतीक
यहां का बाराही देवी मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। पर्व-त्योहार के समय यहां विशेष भीड़ रहती है और पर्यटक भी इस आध्यात्मिक माहौल का हिस्सा बनना पसंद करते हैं।
4. पाटी और लोहाघाट – प्राकृतिक सौंदर्य की मिसाल
चंपावत से कुछ ही दूरी पर बसे लोहाघाट और पाटी प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के लिए मशहूर हैं। यहां के हरे-भरे जंगल, पहाड़ी रास्ते और साफ-सुथरा वातावरण पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
5. मायावती आश्रम – आध्यात्मिक साधना का स्थल
लोहाघाट के पास स्थित मायावती आश्रम (अडवांटा आश्रम) पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां पर स्वामी विवेकानंद भी ठहरे थे। योग, ध्यान और साधना करने वालों के लिए यह जगह बेहद खास है।
6. श्यामला ताल – झील किनारे सुकून
चंपावत से करीब 30 किमी दूर स्थित श्यामला ताल झील, प्राकृतिक सुंदरता और शांति का अद्भुत संगम है। यहां पर चीन की महान क्रांतिकारी रानी मदालिन (Madam Blavatsky / विभिन्न संदर्भों) से जुड़ी ऐतिहासिक कहानियां भी सुनने को मिलती हैं।
7. अद्भुत ट्रेकिंग और बर्ड वॉचिंग
चंपावत के जंगल और पहाड़ ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग और एडवेंचर के लिए भी परफेक्ट हैं। यहां आने वाले पर्यटक हिमालय की चोटियों के नज़ारे देख सकते हैं और दुर्लभ पक्षियों की आवाजाही का आनंद ले सकते हैं।
चंपावत कैसे पहुंचें?
- सड़क मार्ग (By Road): हल्द्वानी, टनकपुर और पिथौरागढ़ से बस/टैक्सी के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग (By Train): नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर (75 किमी) है। यहां से टैक्सी/बस उपलब्ध हैं।
- हवाई मार्ग (By Air): निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट (170 किमी) है।
कब जाएं?
- मार्च से जून – प्रकृति का हरा-भरा रूप और सुहावना मौसम।
- सितंबर से नवंबर – साफ आसमान और ट्रेकिंग का बेहतरीन समय।
- सर्दियों (दिसंबर–फरवरी) – ठंड और बर्फीले नजारों का आनंद।
(मानसून जुलाई-अगस्त में यात्रा थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन नेचर लवर्स के लिए खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं।)
कहां ठहरें?
- चंपावत में बजट होटल, होमस्टे और गेस्ट हाउस आसानी से मिल जाते हैं।
- लोहाघाट और मायावती आश्रम के आसपास भी साफ-सुथरे गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
- बर्ड वॉचिंग और ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए ईको-स्टे और कैंपिंग विकल्प भी मौजूद हैं।
क्या खाएं?
- पारंपरिक कुमाऊंनी भोजन जैसे भट्ट की दाल, आलू के गुटके, झोलि, चैंसू और मंडुवा की रोटी जरूर चखें।
- यहां के स्थानीय लोग गुड़-घी और पहाड़ी दाल-भात से मेहमाननवाजी करते हैं।
- स्ट्रीट फूड में सिंगलिंग और आलू-टमाटर की चटनी काफी मशहूर है।
कुल मिलाकर, चंपावत सिर्फ एक जिला नहीं बल्कि प्रकृति और संस्कृति का अनोखा संगम है। यहां का हर मंदिर, हर झील और हर घाटी पर्यटकों को एक अलग अनुभव देती है। अगर आप उत्तराखंड की भीड़-भाड़ से दूर एक शांत और खूबसूरत जगह की तलाश में हैं, तो चंपावत आपके ट्रैवल लिस्ट में जरूर होना चाहिए।
