
Uttarakhand Panchayat Elections 2025
देहरादून। उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों की जबरदस्त सफलता ने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। कुल 358 जिला पंचायत सीटों में, निर्दलियों ने 128, भाजपा समर्थित ने 124, और कांग्रेस समर्थित ने 106 सीटें जीती हैं।
जनता का संदेश और उसके प्रभाव
हालांकि भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि कई निर्दलीय उम्मीदवार असल में पार्टी समर्थक या संबद्ध हैं, लेकिन पार्टी के तमाम सूत्र यह मानते हैं कि जनता का गुस्सा खासकर मौजूदा विधायकों के खिलाफ काफी साफ था। कई जगहों पर स्थानीय लोगों ने अपने मौजूदा विधायकों को जानबूझकर गांव में प्रवेश करने से रोक दिया, जो सीधे जनता और पार्टी के बीच दूरियां दर्शाता है।
वंशवाद बन पड़ा भारी, युवा उम्मीदवार चमके
चुनाव में युवाओं और गैर-पार्टी प्रवृत्ति वाले उम्मीदवारों को भी भारी समर्थन मिला। कांग्रेसी नेता हरीश रावत ने इसे पार्टी की राष्ट्रवादी वापसी की पहली कड़ी बताया और कहा कि कांग्रेस आने वाले छह महीने में पार्टी को फिर मजबूत करेगी। साथ ही कहा कि विधानसभा चुनाव 2027 से पहले यह संकेत बहुत मायने रखते हैं।
बीजेपी की रणनीतिक चुनौतियां
भाजपा अपने आधार को बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि चुनाव में मिली शिकस्त को देखते हुए आगे की रणनीति तैयार की जा रही है।
स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों से साफ है कि अब ग्रामीण मतदाता पारंपरिक पार्टी लाइन से हटकर स्थानीय मुद्दों और व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर अपने उम्मीदवार चुन रहे हैं। यह रुझान आगामी विधानसभा चुनावों तक जारी रहने की संभावना है, जिससे दोनों प्रमुख दलों विशेष रूप से भाजपा को अपनी रणनीति और संगठनात्मक ढांचों पर पुनर्विचार करना होगा।