प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन के दूसरे सत्र में नारी शक्ति केंद्र में रही — वक्ताओं ने महिलाओं की सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सामाजिक भूमिका पर अपने विचार रखे।
देहरादून। राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन-2025 के दूसरे सत्र में संस्कृति, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे विषयों पर गहन विमर्श हुआ। इस पूरे सत्र का केंद्रबिंदु रहा — “नारी शक्ति और उनकी भूमिका”। सत्र की शुरुआत में वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं के विकास के लिए निरंतर कार्य हो रहे हैं, लेकिन अब समय है कि सामूहिक साझेदारी के साथ इस अभियान को और मजबूत बनाया जाए।

“हर लोक परंपरा में रही महिला की प्रभावशाली भूमिका” — प्रो. डी.आर. पुरोहित
गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और लोक संस्कृति के गहन अध्येता डी.आर. पुरोहित ने बड़ी संवेदनशीलता से महिलाओं की सांस्कृतिक उपस्थिति को रेखांकित किया। उन्होंने नंदा राज जात, रतेली, होली, बेडा-बद्दियों के स्वांग, मांगल गीत, शगुन आखर, खुदेड और न्योली जैसे लोक रूपों का उल्लेख करते हुए बताया कि हर परंपरा में महिला की प्रभावशाली स्थिति रही है। वह लोक संस्कृति की आत्मा हैं।
“हिमालयी महिलाओं में असाधारण जज्बा” — प्रो. सुरेखा डंगवाल
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि बीते 25 वर्षों के उत्तराखंड सफर में महिला स्वयं सहायता समूहों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था और समाज में अहम योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र की महिलाएं कठिन परिस्थितियों में भी अपनी शक्ति और संकल्प से अलग पहचान बनाती हैं। उनका जज्बा पूरे देश के लिए प्रेरणा है।
“सेना से उद्यमिता तक महिलाओं की सफलता की उड़ान” — अनुपमा जोशी
पूर्व विंग कमांडर और शिक्षाविद् अनुपमा जोशी, जिन्होंने सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन के लिए संघर्ष किया, ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि शिक्षा और उद्यमिता महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कुंजी हैं। साथ ही कहा कि जब महिलाएं आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ती हैं, तो समाज का हर क्षेत्र विकास की राह पकड़ता है।
“लोक संगीत में महिलाओं की आत्मा बसी है” — पद्मश्री प्रीतम भरतवाण
प्रसिद्ध लोक गायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंडी लोक संगीत महिलाओं की भावनाओं का जीवंत प्रतिबिंब है। उन्होंने कार्यक्रम के बीच में जागर और पवाड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि लोक संगीत में महिला सिर्फ प्रेरणा नहीं, बल्कि परंपरा की वाहक हैं।
महिला स्वास्थ्य पर फोकस
हंस फाउंडेशन से जुड़ीं रंजना रावत ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में महिला स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि संस्थान ग्रामीण महिलाओं में स्वास्थ्य जागरूकता और पोषण सुधार पर लगातार काम कर रहा है।
सत्र का संचालन
सत्र की शुरुआत दून विश्वविद्यालय के प्रो. एच.सी. पुरोहित ने की, जबकि संचालन का कार्य प्रो. हर्ष डोभाल ने संभाला। सभी वक्ताओं ने मिलकर उत्तराखंड में महिलाओं की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक भूमिका को नई दृष्टि से प्रस्तुत किया।
प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का दूसरा सत्र नारी शक्ति को समर्पित रहा। सांस्कृतिक परंपराओं से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्यमिता तक — महिलाओं के योगदान को सम्मानित करने और आगे बढ़ाने का यह सत्र उत्तराखंड के समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
